Thursday, April 18, 2024

Sapna Pandey Poem : कहीं खामोश होकर खो ना जाऊं

कहीं खामोश होकर खो ना जाऊं मेरा 
भी वजूद रहने दो ….

नरम दिल हूं इसे पत्थर ना बनने दो 
एक दरख्त शाख से टूट चुकी हूं 
अब दोबारा मत टूटने दो…

कहीं खामोश होकर बिखर ना जाऊं मेरा भी 
वजूद रहने दो..

मैं भी कभी चहकती थी महकती थी तितली और 
खुशबू बनकर एक बार बिखर चुकी हूं 
अब दोबारा मत बिखरने दो …

कहीं खामोश होकर खो ना जाऊं मेरा 
भी वजूद रहने दो…

मैं भी कभी उड़ती थी मचलती थी पतंग और 
हवा बनकर एक बार छूट चुकी हूं 
अब दोबारा मत छूटने दो…

कहीं खामोश होकर खो ना जाऊं मेरा 
भी वजूद रहने दो..

मंजिल पाने के लिए हमेशा चलती रही कोशिश 
करती रही तलबगार और मुसाफिर बन कर 
अब मंजिल मिली है तो जश्न मनाने दो….

कहीं खामोश होकर खो ना जाऊं मेरा भी 
वजूद रहने दो..

Sapna pandey
Renukoot Sonbhadra UP

 

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